Vrindavan ki lathmar holi: क्या होता है लठमार होली, जाने पूरी डिटेल्स 

वृंदावन की लठमार होली ब्रज क्षेत्र की होली का ही एक हिस्सा है, जहाँ होली को एक अलग ही अंदाज़ में मनाया जाता है। 

असली लठमार होली बरसाना गांव में खेली जाती है, लेकिन वृंदावन में भी इसकी धूम देखने को मिलती है।

लठमार होली को श्री कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं से जोड़ा जाता है। 

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में नंदगांव के कन्हैया अपने सखाओं के साथ राधा रानी के गांव बरसाना होली खेलने जाते थे। 

वहाँ राधा रानी और गोपियाँ, कन्हैया की शरारतों से परेशान होकर, उन्हें लाठियों से हल्के-हल्के मारकर सबक सिखाती थीं। 

कन्हैया और उनके सखा खुद को बचाने के लिए अपनी ढालों का सहारा लेते थे। यही लीला आज भी लठमार होली के रूप में मनाई जाती है।

आज के समय में लठमार होली पर बरसाने की महिलाएं रंगीन कपड़े पहनकर लाठियां लेकर नाचती गाती हैं। 

वहीं नंदगांव के पुरुष ढाल और धोतिया पहनकर बरसाना पहुंचते हैं। महिलाएं उन पर लाठी बरसाती हैं और पुरुष ढाल से बचाव करते हैं। 

इस दौरान होली के गीत गाए जाते हैं और खूब उल्लास रहता है। हालांकि, लाठियां चलने के बावजूद, ये प्रेम का ही नाटक होता है।

लठमार होली ब्रज की होली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और देश-विदेश से लोग इसे देखने के लिए आते हैं।

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