शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 प्रमुख स्थल, जहाँ इस नवरात्री करें दर्शन

शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 प्रमुख स्थल जहाँ नवरात्रि धूमधाम से मनाई जाती है, इस नवरात्रि आपको यहाँ जरूर जाना चाहिए। नवरात्रि, हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार है जो देवी दुर्गा की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

नवरात्रि का त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन कोलकाता में इसका एक विशेष महत्व है। कोलकाता में नवरात्रि के दौरान दुर्गा पूजा उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और यह उत्तर भारत के हिमाचल प्रदेश, पंजाब, और गुजरात में भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। कोलकाता में नवरात्रि के दौरान हर जगह पंडाल सजाए जाते हैं। पंडालों में देवी दुर्गा की विशाल प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। पंडालों को बहुत ही खूबसूरती से सजाया जाता है। नवरात्रि के दौरान कोलकाता की सड़कें और बाजार लोगों से भरे होते हैं। हर कोई नवरात्रि का त्यौहार मनाने के लिए बाहर निकलता है।

नवरात्री के दौरान, भक्त नौ दिनों तक देवी की पूजा और आराधना करते हैं, और यह उनकी शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। इस महोत्सव के दौरान, बहुत सारे लोग रात्रि में गरबा और डांडिया करते है।

शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 प्रमुख स्थल

शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 प्रमुख स्थल ये है वैष्णो देवी मंदिर, धारी देवी मंदिर, नैना देवी मंदिर, ज्वाला देवी मंदिर, शीतला देवी मंदिर, चामुंडा देवी मंदिर, माँ कामाख्या मंदिर कोलकाता , ब्रजेश्वरी देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर। आइये इन सभी मंदिरो के बारे में एक एक करके डिटेल्स में जानते है।

#1. वैष्णो देवी मंदिर

शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 प्रमुख स्थल

हिन्दू धर्म में माता वैष्णो देवी के मंदिर का विशेष महत्व है। माता वैष्णो देवी का मंदिर भारत में सबसे अधिक यात्रा किया जाने वाला धार्मिक स्थल है, और यह एक शक्ति पीठ भी है। मान्यता है कि माता रानी भगवान विष्णु के अंश से उत्पन्न हुई थीं, इसलिए माता का एक नाम देवी त्रिकुटा भी है।

मां का निवास स्थान, जिसे मां की गुफा कहा जाता है, त्रिकुटा पहाड़ियों पर जम्मू में स्थित है, इसलिए इस मंदिर को त्रिकुटा भवन भी कहा जाता है। नवरात्रि के दिनों में यह एक प्रमुख स्थल बन जाता है जहा नवरात्रि की पूजा धूम धाम से की जाती है।

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#2. धारी देवी मंदिर

अलकनंदा नदी के किनारे स्थित मां धारी देवी मंदिर एक प्राचीन सिद्धपीठ है। माता धारी देवी को उत्तराखंड की रक्षक देवी के रूप में माना जाता है। धारी देवी मंदिर भारत में 108 प्रार्थना स्थलों में से एक है, जो श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के पास स्थित है। इस मंदिर के प्राचीन वातावरण में मां धारी देवी के दर्शन करने का अनुभव अत्यधिक आत्मा शांति और शक्ति का अहसास कराता है।

यहां के प्रसिद्ध मेले और धार्मिक आयोजनों के साथ-साथ यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी आकर्षक है। यहां के श्रद्धालु अपनी भक्ति और आस्था के साथ मां धारी देवी के आशीर्वाद का आदर करते हैं।

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#3. नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर, नैनीताल, उत्तराखंड के उत्तरी किनारे पर स्थित है और यह मां शक्ति का प्रतीक है। इस प्राचीन मंदिर का निर्माण समुंदर स्तर से लगभग 1698 मीटर की ऊँचाई पर किया गया है, जिससे यह नैनीताल के ऊपर गर्मी के मौसम में शीतल वन्दन का अनुभव करता है। मंदिर की विशेषता यह है कि यहां सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है, और इसके दो नेत्र हैं जो मां की अनुपम महिमा को प्रतिष्ठित करते हैं। मंदिर के निकट नैनीताल का प्रसिद्ध झील है, जो अपने सुंदर परिदृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

नैना देवी मंदिर नैनीताल के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और यहां के श्रद्धालु नैना देवी की कृपा को प्राप्त करते हैं, जिससे यह स्थल धार्मिक और पर्यटन साथ में हर किसी को आकर्षित करता है।

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#4. ज्वाला देवी मंदिर

मां भगवती के शक्तिपीठों में से एक ज्वाला देवी हिमाचल प्रदेश में स्थित है। मान्यता है कि भगवान शिव यहां उन्मत भैरव के रूप में स्थित हैं। इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह है कि इसमें किसी मूर्ति की बजाय पृथ्वी से उत्पन्न होने वाली 9 ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इनके रहस्य को समझने के लिए भू-वैज्ञानिकों ने कई साल से खोज की है, लेकिन 9 किमी गहराई में भी, वह स्थल आज तक नहीं मिला है, जहां प्राकृतिक गैस निकलती है।

यहाँ तक कि अब आप नवरात्र के मौके पर उत्तर भारत के महत्वपूर्ण मां के मंदिरों के दर्शन करने के लिए तैयार हैं। यह स्थल आपको धार्मिक रूप से निरंतरता और आध्यात्मिक साक्षरता की अनुभूति प्रदान करेंगे, और यह एक अनुपम आत्मा के अनुभव की ओर एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

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#5. शीतला देवी मंदिर

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला महंतान गांव में स्थित शीतला देवी मंदिर दुर्गा माता को समर्पित है। इस मंदिर में शीतला देवी की पूजा की जाती है, जिनके वाहन के रूप में गर्दभ का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। स्कंद पुराण में इनकी महिमा का गुणगान शीतलाष्टक के रूप में होता है, जिसे भगवान शंकर ने लोकहित के लिए रचा था।

यहां का वातावरण धार्मिक और मानसिक शांति की खोज करने के लिए आत्मा को उत्तेजित करता है। शीतला देवी माता की कृपा से भक्तों को बीमारियों और दुर्भाग्य से मुक्ति मिलती है। नवरात्री के समय इस मंदिर में पूजा के लिए काफी भीड़ लगती है, यह एक दर्शनीय स्थल भी है।

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#6. चामुंडा देवी मंदिर

चामुंडा माता के मंदिर तो कई हैं, लेकिन हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 15 किमी पर स्थित बंकर नदी के किनारे बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यहां पर चामुण्डा देवी की पूजा की जाती है, जो शक्ति के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इस स्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, और इसे मां काली के शक्तिपीठ के रूप में भी जाना जाता है।

मां काली शक्ति और संहार की देवी है, जिन्होंने जब-जब पृथ्वी पर संकट आया, तब-तब राक्षसों का संहार किया है। चण्ड-मुण्ड के संहार के बाद, मां का नाम चामुण्डा हुआ था।

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#7. माँ कामाख्या मंदिर

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माँ कामाख्या मंदिर, जो कोलकाता में स्थित है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जो देवी कामाख्या को समर्पित है। यह मंदिर बंगाल के प्रमुख मंदिरों में से एक है और यहां के भक्त देवी कामाख्या की पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। माँ कामाख्या मंदिर का इतिहास विशेष है, और यह माना जाता है कि यहां पर तंत्रिक यज्ञों का आयोजन होता है, जिसमें विशिष्ट रूप से देवी कामाख्या की शक्ति का महत्वपूर्ण भाग होता है।

मंदिर का आकर्षण उसकी शिलाओं और विशाल मंदप की सुंदरता में है, जिसमें देवी की मूर्ति स्थापित है। माँ कामाख्या का यह मंदिर उनके भक्तों के लिए एक स्थान है जहां वे आशीर्वाद और सुख-शांति की कामना करते हैं। इस मंदिर का आगमन कोलकाता के पर्यटन क्षेत्र में एक मान्यता है, और यहां के धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजनों में से एक है। यहां के श्रद्धालु नियमित रूप से माँ कामाख्या की पूजा करते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन को सुखमय बनाते हैं।

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#8. ब्रजेश्वरी देवी मंदिर

हिमाचल के कांगड़ा का ब्रजरेश्वरी शक्तिपीठ मां का एक ऐसा धाम है, जहां प्रशंसा और भक्ति का अत्यंत माहत्म्य है। यह शक्ति पीठ 52 शक्ति पीठों में से एक है, और मान्यता है कि यहीं पर मां का दाहिना वक्ष गिरा था। यह धाम ‘नगरकोट’ के नाम से भी प्रसिद्ध है, और इस मंदिर में भगवान शिव भैरव नाथ के रूप में स्थित हैं।

सन 1009 में मोहम्मद गजनवी ने इस मंदिर को पूरी तरह तबाह कर दिया था, इस मंदिर के चांदी से बने दरवाजे तक उखाड़ कर ले गया था। यहां का इतिहास और मान्यता इसको एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाता है, जो हर वर्ष लाखों भक्तों को आकर्षित करता है।

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#9. मनसा देवी मंदिर

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उत्तराखंड के हरिद्वार शहर में स्थित मनसा देवी मंदिर हर भक्त के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह स्थल शक्ति त्रिकोण का हिस्सा है, जिसमें भगवती देवी चंडी, दक्षेश्वर, और मनसा देवी की मूर्तियाँ स्थित हैं। मनसा देवी को दुर्गा माता के एक रूप के रूप में माना जाता है, और यह स्थल शिवालिक पर्वतों पर स्थित है।

मनसा देवी मंदिर एक सांप (नाग) की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, और भक्त यहां पर आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की कामना करते हैं। यहां के पेड़ पर धागा बांधने से मान्यता है कि मनोकामना पूरी होती है, और इसके बाद एक धागा खोलने की परंपरा भी चली आ रही है। मनसा देवी मंदिर अपने माहत्म्य और प्राचीन इतिहास के साथ एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, और वहां के भक्त रोज़ आकर मां की पूजा-अर्चना करते हैं।

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FAQ’s

Q-1. नवरात्रि के 9 दिन कौन से हैं?

Ans- माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री का उत्सव मनाती हैं।

Q-2. वैष्णो देवी मंदिर कहा है?

Ans- जम्मू और कश्मीर राज्य के जम्मू के कटरा में स्थित है।

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